बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - तृतीय प्रश्नपत्र - सामुदायिक विकास एवं प्रसार प्रबन्धन एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - तृतीय प्रश्नपत्र - सामुदायिक विकास एवं प्रसार प्रबन्धनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - तृतीय प्रश्नपत्र - सामुदायिक विकास एवं प्रसार प्रबन्धन
प्रश्न- प्रसार शिक्षा, शिक्षण पद्धतियों को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्वों का वर्णन करो।
उत्तर -
(Factors Affecting Extension Education Teaching Methods)
प्रसार शिक्षा कार्यकर्त्ता विभिन्न बिन्दुओं को ध्यान में रखकर प्रसार शिक्षा हेतु शिक्षण विधि का चुनाव करता है। पर फिर भी कई बार अपेक्षित सफलता प्राप्त नहीं होती है क्योंकि बहुत सोच विचार कर विधि का चुनाव करने पर भी कुछ और तत्व हैं जो विधि की सफलता तथा असफलता को प्रभावित करते हैं। इन तत्वों की अनदेखी नहीं की जा सकती है। प्रसार शिक्षा की सफलता हेतु यह भी आवश्यक है कि प्रसार कार्यकर्त्ता को प्रसार शिक्षा की समस्त शिक्षण पद्धतियों तथा उससे जुड़ी सामग्री की जानकारी सैद्धान्तिक तथा व्यावहारिक दोनों रूप से हो। उसकी सफलता इसी पर निर्भर करती है कि उसने पद्धति तथा साधनों की उपलब्धता और उनके प्रयोग पर कितना ध्यान दिया है। उसका एक स्थान का प्रयोग दूसरे स्थान पर भी सफल हो यह आवश्यक नहीं है क्योंकि दोनों स्थान के लोगों के बौद्धिक स्तर में अन्तर होता है, ग्रहण क्षमता में अन्तर होता है। सामाजिक आर्थिक स्तर में अन्तर होता है। वे तत्त्व जो शिक्षण पद्धति को प्रभावित करते हैं निम्न प्रकार हैं-
1. स्थानीय लोगों में विश्वास - प्रसार शिक्षा के प्रति वहाँ के स्थानीय लोगों में विश्वास उत्पन्न करना आवश्यक है और इस विश्वास को उत्पन्न करने के लिये स्थानीय निवासियों को प्रसार शिक्षा का उद्देश्य समझाना सबसे पहला काम है। जब वे इसे समझ जायेंगे तो कार्यक्रम के प्रति आस्था अपने आप आ जायेगी अतः पहले कार्यक्रम का उद्देश्य समझायें बतायें तब कार्यक्रम प्रारम्भ करें।
(2) स्थानीय परिस्थितियाँ - स्थानीय परिस्थितियों के अन्तर्गत उस स्थान विशेष जहाँ कार्यक्रम चलाया जा रहा है वहाँ के विश्वास, आस्थाएँ, मान्यताएँ, रीतियाँ, कुरीतियाँ वहाँ की आर्थिक, भौगोलिक परिस्थितियों, वहाँ का स्थानीय नेतृत्व, वहाँ उपलब्ध दैनिक जीवन सम्बन्धी सुविधाएँ जैसे जल सुविधा है या पीने का पानी भी कोसों मील जाकर लाना पड़ता है। इसी प्रकार यातायात, विद्युत आपूर्ति सुविधा किस प्रकार की है यह भी शिक्षण पद्धति को प्रभावित करता है।
(3) शिक्षण विधि तथा सम्बन्धित सामग्री की उपलब्धता - इसके पूर्व हम देख चुके हैं कि प्रसार शिक्षण में एक साथ एक से अधिक विधियों का प्रयोग अधिक प्रभावशाली होता है किन्तु हर क्षेत्र में प्रसार कार्यकर्त्ता के लिये ऐसा करना सुविधाजनक नहीं होता है कई बार प्रसार कार्यकर्त्ता में स्वयं कमी होती है। यह कमी अनुभव ज्ञान पद्धतियों की जानकारी सम्बन्धी कमी होती है जिसके कारण वह ऐसा नहीं कर पाता है पर यदि प्रसार कार्यकर्त्ता स्वयं में सक्षम होता है उसके पास सुविधाएँ होती हैं तब वह एक से अधिक विधियों का प्रयोग कर अपने शिक्षण कार्यक्रम को सफल तथा प्रभावी बना लेता है।
विभिन्न शिक्षण विधियों में अलग-अलग साधनों का प्रयोग होता है। कई बार साधनों के अभाव में शिक्षण पद्धति का प्रयोग नहीं हो पाता है। बहुत से साधन ऐसे होते हैं जिनके प्रयोग के लिये विद्युत आवश्यक है किन्तु विद्युत आपूर्ति के अभाव में वह साधन प्रयोग में नहीं आ पाते। इसी प्रकार कुछ साधन बहुत महँगे होते हैं। खेती सम्बन्धी नये उपकरण ऐसे 'साधन हैं जिनका प्रयोग शिक्षण विधि को रुचिकर तथा प्रभावी बनाता है अतः इनकी उपलब्धता शिक्षण विधि को रुचिकर बनाती है जबकि इनकी कमी के कारण शिक्षण प्रभावकारी नहीं हो पाता है।
(4) कार्यक्रम में शिक्षा ग्रहण करने वाले की भागीदारी - हम इसके पूर्व देख चुके हैं कि इस कार्यक्रम में प्रतिभागी का काम करके सीखना है अर्थात् यह एक व्यवहारिक शिक्षा है अतः केवल मौखिक रूप से जानकारी देने पर इसका उद्देश्य पूरा नहीं होता है। गाँवों में इस शिक्षा के अन्तर्गत खेती के उन्नत नये तरीके, उत्तम खाद, बीज, पशुओं की देखभाल तथा गृह प्रबन्ध हेतु पौष्टिक आहार, स्वास्थ्य शिक्षा, सफाई, बच्चों की देखभाल, विपणन जैसे विषयों पर शिक्षा दी जाती है। ये सब विषय ऐसे हैं जिनमें शिक्षा ग्रहण करने वाले की भागीदारी आवश्यक है केवल भाषण देकर यह शिक्षा पूर्ण रूप से नहीं दी जा सकती है।
(5) शिक्षण विधि का प्रभावशाली होना - बदलते समय में शिक्षण की नई पद्धतियों के साथ-साथ नये साधन भी आते जा रहे हैं। शहरी औपचारिक शिक्षा को ही ले लें एक समय पुस्तकें प्रभावी थी जिन्हें विद्यार्थी पढ़ते थे सम्भाल कर रखते थे। आज सब कुछ कम्प्यूटर, इन्टरनेट पर हाजिर है। बेताल, सुपरमैन की कॉमिक्म आती थी आज सी०डी० आ गई है। बच्चों की कविताओं की किताबें होती थीं आज सी०डी० आ गई है। यह प्रभाव प्रसार शिक्षा के क्षेत्र में भी है। आज प्रसार शिक्षा के क्षेत्र में भी सबसे प्रभावी माध्यम टी० वी० तथा वीडियो हो गया है। आज कृषि तथा लघु उद्योग कार्यक्रम टी० वी० पर प्रसारित होते हैं। आज टी० वी० प्रसार शिक्षा के क्षेत्र में प्रभावी माध्यम बन गया है। शिक्षण की वे विधियाँ जिनमें स्वयं करके सीखना होता है अन्य विधियों की तुलना में अधिक प्रभावी होती हैं।
(6) प्रसार कार्यकर्त्ता की कार्यक्षमता - प्रसार कार्यकर्त्ता द्वारा चुनी गई सही शिक्षण पद्धति भी अपना प्रभाव छोड़ देती है। यदि उसकी प्रस्तुति सही नहीं होती है तो अच्छी शिक्षण विधि भी अरुचिकर हो जाती है। इसके लिये यह आवश्यक है कि प्रसार कार्यकर्त्ता को अपने विषय की पूर्ण जानकारी होनी चाहिये ताकि वह ग्रहण करने वाले की उत्सुकता जिज्ञासा को शान्त कर सके। प्रसार कार्यकर्त्ता को अपने काम में रुचि लेनी चाहिये। वह स्वयं हमेशा सब कुछ नया जानने सीखने को उत्सुक रहे ताकि उसमें भी अपने विषय की पूर्ण जानकारी बढ़ती जाये।
(7) समय की माँग के अनुसार उपलब्धता - शिक्षा देने वाले तथा शिक्षा लेने वाले दोनों को समय देना पड़ता है और समय अलग-अलग नहीं एक साथ समय होना चाहिये। यदि दोनों एक साथ एक समय पर खाली नहीं होते हैं तो शिक्षण कार्य नहीं हो पाता है। खेती सम्बन्धी शिक्षा देते समय जब तक किये प्रयोग का परिणाम प्राप्त नहीं होता प्रसारकर्ता को वहाँ उपस्थित रहना होता है इस काम में हफ्ते, माह भी लग जाते हैं। समूह चर्चा, गोष्ठियों, भ्रमण, प्रदर्शन विधियाँ भी समय की माँग करती हैं। दोनों पक्षों द्वारा एक-साथ समय न देने पर शिक्षण विधियाँ अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाती हैं।
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- प्रश्न- प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? प्रसार शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइये।
- प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के उद्देश्यों का विस्तार से वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की विशेषताएँ समझाइये।
- प्रश्न- ग्रामीण विकास में गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा, शिक्षण पद्धतियों को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्वों का वर्णन करो।
- प्रश्न- प्रसार कार्यकर्त्ता की भूमिका तथा गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दृश्य-श्रव्य साधन क्या हैं? प्रसार शिक्षा में दृश्य-श्रव्य साधन की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सीखने और प्रशिक्षण की विधियाँ बताइए। प्रसार शिक्षण सीखने और प्रशिक्षण की कितनी विधियाँ हैं?
- प्रश्न- अधिगम या सीखने की प्रक्रिया में मीडिया की भूमिका बताइये।
- प्रश्न- अधिगम की परिभाषा देते हुए प्रसार अधिगम का महत्व बताइए।
- प्रश्न- प्रशिक्षण के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- प्रसार कार्यकर्त्ता के प्रमुख गुण (विशेषताएँ) बताइये।
- प्रश्न- दृश्य-श्रव्य साधनों के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा के मूल तत्व बताओं।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा के अर्थ एवं आवश्यकता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- श्रव्य दृश्य साधन क्या होते हैं? इनकी सीमाएँ बताइए।
- प्रश्न- चार्ट और पोस्टर में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- शिक्षण अधिगम अथवा सीखने और प्रशिक्षण की प्रक्रिया को समझाइए।
- प्रश्न- सीखने की विधियाँ बताइए।
- प्रश्न- समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- महिला सशक्तिकरण से आपका क्या तात्पर्य है? भारत में महिला सशक्तिकरण हेतु क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
- प्रश्न- स्वच्छ भारत अभियान की विस्तारपूर्वक विवेचना कीजिए। इस अभियान के उद्देश्यों का उल्लेख करें।
- प्रश्न- 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उज्जवला योजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वच्छ भारत अभियान घर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में राष्ट्रीय विस्तारप्रणाली की रूपरेखा को विस्तारपूर्वक समझाइए।
- प्रश्न- स्वयं सहायता समूह पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- स्वच्छ भारत अभियान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- उज्जवला योजना के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- नारी शक्ति पुरस्कार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना पर टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- सामुदायिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक विकास कार्यक्रम की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना का क्षेत्र एवं उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के उद्देश्यों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास एवं प्रसार शिक्षा के अन्तर्सम्बन्ध की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास की विधियों को समझाइये।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यकर्त्ता की विशेषताएँ एवं कार्य समझाइये।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना संगठन को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम को परिभाषित कीजिए एवं उसके सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समुदाय के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास की विशेषताएँ बताओ।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास के मूल तत्व क्या हैं?
- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना के अन्तर्गत ग्राम कल्याण हेतु कौन से कार्यक्रम चलाने की व्यवस्था है?
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम की सफलता हेतु सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना की विशेषताएँ बताओ।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास के सिद्धान्त बताओ।
- प्रश्न- सामुदायिक संगठन की आवश्यकता क्यों है?
- प्रश्न- कार्यक्रम नियोजन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है?
- प्रश्न- प्रसार प्रबन्धन की परिभाषा, प्रकृति, सिद्धान्त, कार्य क्षेत्र और आवश्यकता बताइए।
- प्रश्न- नेतृत्व क्या है? नेतृत्व की परिभाषाएँ दीजिए।
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- प्रश्न- प्रबंध के कार्यों को संक्षेप में समझाइए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा या विस्तार शिक्षा (Extension education) से आप क्या समझते है, समझाइए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा व प्रबंधन का सम्बन्ध बताइये।
- प्रश्न- विस्तार प्रबन्धन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- विस्तार प्रबन्धन की विशेषताओं को संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा या विस्तार शिक्षा की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
- प्रश्न- विस्तार शिक्षा के महत्व को समझाइए।
- प्रश्न- विस्तार शिक्षा तथा विस्तार प्रबंध में क्या अन्तर है?